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उत्तर प्रदेश में कितना बदला? 2009 में मैं कानपुर में थ। तब जागरण प्रकाशन के अखबार आई नेक्सट में वहां की लोकल टीम को हेड कर रहा था। तब एक दहला देने वाली घटना सामने आयी थी सामने। हाथरस मामले में पुलिस-प्रशासन रवैया को देखकर वह वाकया याद आ गया। पूरी घटना अगले कुछ ट्वीटस में
उत्तर प्रदेश में कितना बदला? 2009 में मैं कानपुर में थ। तब जागरण प्रकाशन के अखबार आई नेक्सट में वहां की लोकल टीम को हेड कर रहा था। तब एक दहला देने वाली घटना सामने आयी थी सामने। हाथरस मामले में पुलिस-प्रशासन रवैया को देखकर वह वाकया याद आ गया। पूरी घटना अगले कुछ ट्वीटस में
स्कूल में 10 साल की बच्ची के साथ हैवानियत हुई।ऐसी हैवानियत कि प्राइवेट पार्ट अलग हो गये थे। करने वाले ताकतवर लोग थे। पुलिस में पहुंच थी।उस केस को मोड़ दिया गया।पुलिस अधिकारी ने अपने परिचित डॉक्टर से पोस्टमार्टम करा दिया जिसमें कुछ भी साफ नहीं था। छोटी बच्ची का मामला दबा रहा
जब इस बच्ची के साथ हुई हैवानियत का मामला हमने अपनी टीम के साथ मिलकर उठाया तो पुलिस हरकत में आयी। मामला जल्दी से सुलझाना था और ताकतवर लोगों को भी बचाना था। इसके लिए आसान हथकंडा अपनाया।पुलिस ने उस बच्ची के पड़ोसी लड़के को रेप में फंसा दिया।पूरी कहानी गढ़ दी। सबने मान लिया। हमने भी
लेकिन कुछ दाल में काला लगा। हमारे बेहतरीन काइम रिपोर्टर से कहा कि मामले को देखो। उसने उस लड़की की मां से बात की। टूट चुकी मां ने बातों में संकेत दिया कि पड़ोसी से अधिक उसे स्कूल पर संदेह लग रहा है। स्कूल जाने से पहले सबठीक था। पुलिस ने कहा था,घर आने के बाद पड़ोसी ने रेप किया था
हमने अपने स्तर पर मामले की जांच शुरू की। पता चला, स्कूल के मालिक के बेटे का रिकार्ड संदिग्ध है।जिस दिन यह वारदात हुई थी उस दिन स्कूल में हलचल सी थी। हमने कई जरूरी सवाल उठाए। लगातार रिपोर्टिग शुरू की। उसकी मां को साहस आया। वह भी अपने बेटी की न्याय के लिए आगे आयी
तब इलाके के डीआईजी प्रेम प्रकाश थे। उस वक्त सीएम मायावती के बेहद करीबी अधिकारी माने जाते थे। उनकी पकड़ थी राज्य में। उन्होंने शुरू किया दबाव बनाना। हमारी टीम की रिपोर्टिंग से उन्हें आपत्ति होने लगी। उधर कानपुर में धीरे-धीरे लोग उस लड़की के न्याय के लिए आगे आने लगे थे
मां की अपील पर शहर में कैंडिल लाइट निकला।अब मामला दबाना कठिन होने लगा।शहर में लोग उग्र होने लगे।स्कूल के मालिक के बेटे तक जांच आग बढ़ानी पड़ी। लेकिन मामला उठाने के कारण पुलिस-प्रशासन ने हमपर कई गंभीर केस कर दिये। उनकी टारगेट में बुरी तरह आ गये। आरोप लगा दिया हमलोग दंगा फैला रहे
पुलिसपरेशान करने की कोशिश करती रही।हर तरह से धमकाया। लेकिन मामला पुलिस और उनके संरक्षण में छिपे रेपिस्ट के हाथ से निकल गया था।अंत में हमारी बात सही साबित हुई।तमाम फोरेसिंक रिपार्ट से साबित हुआ कि रेप स्कूल के अंदर हुआ था।बुरी तरह। और तब उसे घर छोड़ दिया गया था।जहां मौत हो गयी
हालांकि बाद में मैं वहां से आ गया लेकिन बाद में पता चला कि सजा हुई। तब से लेकर हाथरस तक मामला को देख रहा कि लगता है कि कुछ नहीं बदला। अगर कोई कमजोर है और उसके साथ कोई खड़ा नहीं हो तो उसकी हालत बहुत खराब है। यही कारण है कि इस समाज में सशक्त मीडिया का होना बहुत जरूरी है। END