प्यार करना और उस प्यार का जतन करना, दोनों बातों में अंतर है.. प्यार तो हर रूप में प्यार ही है चाहे वो एक पति से हो या पिता से, पत्नी से हो या माँ से, किसी दोस्त से हो या किसी जानवर से.. प्यार का कोई नाम थोड़ी होती है! (१)
                        
                        
                        
                        
                                                
                    
                    
                                    
                    
                        
                        
                        लेकिन कितना आसान है किसीको कह देना मैं तुमसे प्यार करता/करती हूँ, कितना मुश्किल है उन शब्दों को उम्रभर सहजकर रखना.. तन, मन और धन से किसीके लिये घिस जाना पड़ता है.. उसकी हंसी के लिये अपनी कितनी मनमानियों और मनामर्जियों की बलि देनी पड़ती है.. (२)
                        
                        
                        
                        
                                                
                    
                    
                                    
                    
                        
                        
                        यूँही प्यार है कह देने से प्यार थोड़ी हो जाता है? प्यार को हर कदम पर उसका हाथ पकड़कर उसे थामना पड़ता है, फिर चाहे रास्ते में फूल बिछे हो या कांटे!
कई बार होगा कि तुम सही हो फिर भी खुद अपनी गलती मानकर बातों का लेट गो करना पड़ता है.. (३)
                    
                                    
                    कई बार होगा कि तुम सही हो फिर भी खुद अपनी गलती मानकर बातों का लेट गो करना पड़ता है.. (३)
                        
                        
                        इसलिए नहीं कि तुम उनसे डरते हो, लेकिन कभी-कभी उसकी खुशी हमारी हार जीत से बहुत बड़ी बन जाती है..
कभी ऐसा भी होगा कि तुम गलत हो, फिर भी तुम्हें ये अहसास नहीं दिलाया जाएगा, क्योंकि तुमसे बढ़कर शायद उसके लिए भी कभी उसकी ज़िद्द बड़ी न हो! (४)
                    
                                    
                    कभी ऐसा भी होगा कि तुम गलत हो, फिर भी तुम्हें ये अहसास नहीं दिलाया जाएगा, क्योंकि तुमसे बढ़कर शायद उसके लिए भी कभी उसकी ज़िद्द बड़ी न हो! (४)
                        
                        
                        बहुत गहरा बंधन है ये और निभाने से यह और भी गहरा होता जाता है.. पता नहीं लोग प्यार में मरने की बातें क्यों करते है, जबकि प्यार में तो एक उम्र गुज़ारी जाती है.. बस शर्त इतनी है कि प्यार बेशर्त हो.. (५)
                        
                        
                        
                        
                                                
                    
                    
                                    
                    
                        
                        
                        हां वो कुछ तकलीफें लेकर ज़रूर आता है, लेकिन इंसान को अंदर से बदलने का हुनर रखता है.. प्यार करने की उम्र नहीं होती, लेकिन प्यार की उम्र ज़रूर ताउम्र हो सकती है... :)
-yesha
                    
                
                -yesha
 
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